Monday, October 8, 2018

किसान की ऐक छोटी सी कहानी (भाग 01 )


किसान की ऐक छोटी सी कहानी   A small story of Farmer
किसान, Farmer




लगन का समय था बेटी शादी के लायक हो गई थी || 

जयदा पढाई लिखे कवाई नहीं थी | 

उसके बहुत सरे कारन है || 

उसमे से सब से बड़ा कारण सायद मेरा गरीब होना था | 

या फेर मेरा एक छोटी जात से होना रहा होगा || 

पुरे इलाका में बास दो ही स्कूल था | 

पर एक स्कूल नहीं जसकती थी क्यों की वो गरीब की बेटी थी | 

और दूसरे  में  नहीं  जसकती थी क्यों की 

वो उस  समाज से थी उसको इजाजत नहीं था | 

एक साथ बैठ कर अपने बाप 

के मालिक के बच्चो के साथ पढ़े || 

देखा जाए तो  दोनों म ही उसकी गलती नहीं थी |  

और  है अगर  थी तो वो उसकी किसमत ख़राब थी || 

की  वो मेरे  घर में जनम ली थी | 

खैर ये तो बहुत ही साधारण बात है | |  

शादि करने के लिए  लड़का मिला था || 

पांचवी तक पढ़ा  हुआ था ||  

पर भगवन  दिया हुवा उसके हाथ  में  मीठी का बर्तन बनाने  कला था ||  

सब बात होग्या था || 

कुछ  नहीं माँगा था बस 51  लोगो को बारात में  ले कर आने का बात 

तय हुवा 

बहुत मुश्किल से मालिक से कुछ पैसा  उधार तो मिल  गया पर  लरकावालो को शादी जल्दी करनी थी 

धान के रोपाई से  पहले शादी करना  था  

मुझे कोई दिक्कत नहीं था

पर मैं भी तो एक किसान ही था ना

अचानक से बारिश बहुत अच्छी होने की समाचार रेडियो पर आने लगी 

और कृषि विभाग के वैज्ञानिकों ने इस बार अनुमान लगाया कि बारिश अच्छे होने के कारण से धान का उपज बहुत अच्छा होने वाला है

मन में एक लालच सा हुआ कि ऐसा करते हैं कि जो पैसा बचा के रखा है उससे धान की बीज ले लेते हैं 

और कुछ खाद भी  खरीद के पहले खेती करते हैं 

और 6 और 8 महीने बाद जब फसल की कटाई हो जाएगी तो कुछ अधिक पैसा होने से बेटी की शादी भी अच्छे से कर लूंगा 

और लड़कों वालों से बात करने के लिए मैं उनके घर गया मैंने सारी व्यथा उनको बताया उन्होंने कहा की हम भी अपनी बेटी की शादी इसीलिए जल्दी करवाना

चाहते हैं ताकि बहू घर में आ जाए और लड़के की मां बीमार रहती टी हैं  तो बहुवा आकर  खेती में कुछ मदद करें 

पर मेरे लाख समझाने के बाद वह लोग मान गए मैं बहुत खुश होकर घर को आया और आते वक्त ही जो पैसे थे उनसे खेती के लिए बीज खाद सब खरीदते हुए 

आया कुछ दिनों बाद बारिश होना शुरुआत हो गई और हम खेती में लग गए कुछ समय बाद धान की फसल बहुत अच्छी लहलहा रही थी खेतों में बहुत खुश 

था और उम्मीद भी थी की बेटी की शादी बहुत अच्छे से कर लूंगा और दामाद को एक साइकिल भी दे दूंगा औकात से बढ़कर इसलिए सोचा था क्योंकि इस 

साल फसल को देख कर कुछ सोचने और करने की हिम्मत आ गई थी पर अचानक से न जाने कहां से उसी रात मूसलाधार बारिश आंधी तूफान न जाने मेरी

किस्मत को किस दिशा में मोर्ने के लिए आ धमकी सारा फसल नष्ट हो गया और हाथ में दो वक्त की रोटी खाने तक की गुंजाइश ना बचे कुछ नहीं बचा सब

बर्बाद हो गया शायद अधिक वर्षा होने के कारण से कोशिका बांध टूट गया होगा और सब का फैसला हम सबकी किस्मत ओं को लेकर वह  समंदर में समा

गई होगी कुछ था नहीं बचा तो सोचा कि जो भी है बचा हुआ कम से कम उससे बेटी की शादी तो कर लो जब बारिश की लहर कुछ कम हुई तो मैं लड़कों 

वालों के पास गया  जहां पर बेटी के शादी के लिए बात किया था जब वहां गया तो वहां का हालत देखकर कुछ बोलने कुछ पूछने का मन नहीं किया अपने 

कदमों को वहीं से वापस करके अपने घर के रास्ते को पकड़ लिया लड़का ने पहले ही शादी कर ली थी हां जानता हूं 5 से 6 महीने रुकना उनके लिए शायद 

मुश्किल रहा होगा पर समय का ऐसा मार हमारे परिवार पर पड़ा कि ना तो फसल हुई ना कुछ खाने के लिए बचा और ना ही अपनी बेटी की शादी कर पाया 

और ऊपर से साहूकार का कर्जा कुछ यू सर चढ़ गया कि मन कर रहा था कि अपनी जान ले लू  लेकिन जान ले भी लेता मेरी बीवी मेरे बच्चे उनका क्या होता  

मुझे नहीं पता इतनी सारी घटना मेरे  साथ क्यों हुई पर इतना तो है कि भगवान की लाठी में  आवाज नहीं होती है पर चोट बहुत लगती है यह मेरी किस्मत की 

  • मार थी जो मुझे कहीं का नहीं छोड़ा बस इतनी सी है कहानी


by  मोनू भगत 

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