क्या पा लिया बन कर मै अफसर |
क्या खो दिया बन कर मैं अफसर ||
इस पाने खोने के राह मे बस खो दिया मै ने अवसर |
मई फेल अभी हुवा नहीं ये खेल ख़तम हुवा नहीं ||
एक बार फिर मै उठ खरा एक खवाब पाने के लिए |
पर ये खवाब मेरा नहीं ये रह मेरी नहीं ||
फिर भी मई चल पारा |
एक बात मैंने सिख ली ||
दौर दौर कर कुछ जीत ली |
पर इस का मुझे चाह नहीं इस दौर मे |
मैंने खवाब अपनी छोर दी ||
क्या मेरा कुछ अधिकार नहीं ??
मोनू भगत
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